Friday, May 24, 2013

मठ्ठा पीयें

भारतीय रसोई, व्यंजन, संस्कृति एवं खान पान के तौर तरीके पूरी दुनिया में नायाब हैं। हमारे मसाले आज भी औषधि के रूप में दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ‘घी’ हो या ‘दही’ सभी का अपना महत्व है। ऐसे ही हमारे दादी-नानी द्वारा गांव से लेकर शहर तक अपनी खुशबू बिखेरने वाला दूध से बना “मट्ठा”कौन नहीं जानता।
इसे संस्कृत में ‘तक्र’ कहा जाता है इसे मिटटी के बर्तन में सबसे पहले दूध को गर्म कर उसके सोलहवें हिस्से को जलाकर, ठंडा होने के लिए छोड़कर जब साधारण गर्म रहे तब दही की जामन लगा दें, जामन डालने के 10-12 घंटे बाद जब दही बन जाए तब साफ़ मथानी में खूब मथकर उसमें चौथाई पानी डाल दें, यदि व्यक्ति स्वस्थ हो तब मट्ठे में से घी न निकालें और यदि रोगी हो तो घी निकालकर सेवन कराना चाहिए। आयुर्वेद में इसके गुणों का बखान किया गया है।
आईये अब हम आपको बताते हैं इसके गुण :
- मट्ठे का कल्प अर्थात केवल मट्ठे को निश्चित मात्रा में निश्चित दिन तक क्रम से बढाते हुए, एक मात्रा पर पहुंचकर रोगी के अनुसार चिकित्सक के निर्देशन में फिर उसी क्रम में घटाना ‘कल्पचिकित्सा’ कहलाता है और अगर यह ‘कल्प’ स्वस्थ व्यक्ति में नियमित कराया जाय तो शरीर में झुर्रियां नहीं पड़ती, बुढापा देर से आता है, बाल जल्दी सफ़ेद नहीं होते।
- मट्ठा दीपन ग्राही होता है, अर्थात भूख बढाने वाला, कोलाइटिस के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है, यह वायु को शांत करता है।
- ताजा बना मट्ठा पाईल्स के रोगियों के लिए हितकारक है।
- जाड़ों के मौसम में अग्निमांद, अरुचि, वातव्याधि, उल्टी आना, भगंदर, सफ़ेददाग, अतिसार, उदर रोगों एवं कृमि रोगों में मट्ठे का सेवन हितकारी होता है।
- स्वस्थ व्यक्ति में मट्ठे का सेवन सदैव भोजन के आधे घंटे बाद करना चाहिए।
- ताजा मीठा मट्ठा एसिडीटी को दूर करता है।
- मट्ठा पचने में हल्का होता है, यदि रोगी कोई भी भोज्य पदार्थ नहीं पचा पाता है तो उसे मट्ठे का सेवन कराना चाहिए।
- कोलाईटीस के रोगियों में मट्ठे के साथ पंचामृतपर्पटी का कल्प चमत्कारिक प्रभाव दर्शाता है। कहा गया है क़ि जिस प्रकार सूर्य अन्धकार को दूर करते हैं वैसे ही मट्ठाकोलाईटीस को दूर करता है। बस ध्यान रहे की गर्मी के दिनों में मट्ठा खट्टा न हो जाय, अतः गर्मी के मौसम में मट्ठे के मटके को कपड़ा लपेटकर, बालू की रेट बिछाकर जल छिड़कने की व्यवस्था रखनी चाहिए।

Monday, May 20, 2013

Wednesday, January 30, 2013

होंठ फट रहें हो तो

सर्द मौसम में होंठ फटने लगते हैं। ऐसे में होंठों की सुंदरता खत्म होने लगती है। अगर आप भी अपने होठों के फटने या कालेपन से परेशान हैं तो टेंशन न लें, नीचे दिए जा रहे कुछ आसान नानी के नुस्खों से आप अपने होठों की सुन्दरता को चार चांद लगा सकते हैं....
- नित्य दो बार होंठों पर ग्लिसरीन लगाने से लाभ होता है।

- इलायची पीस कर मक्खन में मिलाकर रोज दिन में दो बार कम से कम सात दिन लगाएं।

- गुलाब के फूल को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई या दूध मिलाकर होंठों पर लेप करें।

- नहाने से पहले हथेली में चौथाई चम्मच मूंगफली का तेल लेकर अंगुली से हथेली में रगड़े। फिर होंठो पर इसकी मालिश करें। होंठो के लिए यह लाभप्रद है।

- सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं फटते।

- घी में जरा सा नमक मिलाकर होंठों व नाभि पर लगाने से होंठ फटना बंद हो जाते हैं।

-पांच बादाम रोज सुबह-शाम खाने से होंठ नहीं फटते।

माँ तो आख़िर माँ होती है.

कहते हैं कि ईश्वर हर जगह नहीं हो सकता इसलिए उसने मां बनाई। न जाने यह किंवदंती कब से चली आ रही है। लेकिन यह बिल्कुल सत्य है। परिवर्तन जीवन का एक अनिवार्य नियम है जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बदलाव आते हैं। हर पीढ़ी में कुछ अलग व आधुनिक बातें उसके रहन-सहन में रच-बस जाती है। सभ्यता का विकास होने के बाद मनुष्य ने अपने रहन-सहन के लिए सुविधाजनक व आधुनिक वस्तुओं के इंतजाम किए हैं।

इन सबके बीच मां की भूमिका हमेशा प्रेम व ममता भरी रही है। हां, उसकी जिम्मेदारियां अवश्य अलग हो गई हैं। पहले मां घर की चारदीवारी में रहा करती थी। अशिक्षित हुआ करती थी। एजुकेशन व दुनियादारी से उसका वास्ता नहीं था। इसलिए उसकी सोच भी एक खास दायरे तक सीमित रहती थी। संयुक्त परिवार हुआ करते थे। अधिक सुख-सुविधाओं का अभाव था। सभी काम गृहिणी अर्थात मां को ही करने पड़ते थे-मसलन् गेहूं पीसना, कुएं से पानी भरना, जानवरों को चारा-पानी देना, भोजन बनाना, विभिन्न तरह के अचार व भोज्य सामग्री तैयार करना, घर की साफ-सफाई करना। ये भौतिक काम गृहिणी को इतना व्यस्त रखते थे कि वह कभी आराम नहीं कर पाती थी। यह सब करते हुए उसके दिन महीनों में बदलते थे और महीने सालों में। इन्हीं सालों में मां की बेटी स्वयं मां बनकर खड़ी हो जाती थी, लेकिन हर बार बेटी अपनी मां से दो कदम आगे रहती थी। इन्हीं बढ़े दो कदमों ने आज उसकी जिंदगी व दुनिया को बदल कर रख दिया है ।

पहले मांएं सिर पर पल्लू ढके, पति व ससुराल वालों की हर सही व गलत बात को सिर झुका कर मानती थी। अत्याचार तब भी होते थे किंतु मांएं किसी कोने में सिसक कर मूक रह जाती थीं। शिक्षा ने जहां नारी को अपने अधिकारों व कर्त्तव्यों के प्रति सचेत किया है वहीं अब वह जुल्म व अत्याचार के खिलाफ अपनी बुलंद आवाज उठाने का दम रखती है। तब मां के दिल में अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए चिंगारी भड़कती भी थी तो वह उस चिंगारी को अपने सीने में दबा कर रखती थी। आधुनिक समय में वह चिंगारी उसके सीने से निकल कर आग बन गई है ।

वर्तमान समय की नारी जागरूक व शिक्षित है। आज वह सुशिक्षित होकर अपने जीवन को सार्थक करना चाहती है। इसके लिए वह अपनी इच्छानुसार कार्य चुनती है और उसे पूर्ण समर्पण, निष्ठा एवं तन्मयता से करती है। मां के पास दो आंखें नहीं वरन् चार आंखें होती हैं। उसका दिमाग दसों जगह दौड़ता है। मां व नारी एक ही समय मंे अनेक कार्यों को उत्कृष्ट तरीके से कर सकती हैं। इसलिए आज नारी अधिकतर क्षेत्र में सफल है। अपने क्षेत्र में सफल होने के साथ ही वह एक मां भी है और इन सबके साथ मां की भूमिका को न सिर्फ अच्छी तरह से बल्कि सर्वश्रेष्ठ तरीके से निभा रही है। शिक्षित होने के कारण वह विश्व में घट रही सभी घटनाओं व परिवर्तनों से वाकिफ है।

बच्चों को किस उम्र में क्या शिक्षा देनी है, वह जानती है। आज अनेक सफल मांएं ऐसी हैं जो स्वयं तो अपने कार्यक्षेत्र में सफल हैं ही ,उनके बच्चे भी अपने कार्यक्षेत्र में सफलता के परचम फहरा रहे हैं । मां के त्याग, संघर्ष, ममता व प्रेम के बिना बच्चों की सफलता असंभव है। मां की पोशाक बदलने से उसका स्वभाव, ममता व प्रेम नहीं बदला। आज मां साड़ी, सूट-सलवार, स्कर्ट या जींस कुछ भी पहने लेकिन उसके सीने में मां की तड़प, उसकी ममता, वैसा प्रेम और दुलार आज भी बरकरार है। वह सुपर मॉम हमेशा से ही थी। पहले उसका अस्तित्व दीवारों के अंदर छिपा रहता था केवल उसकी झलक बाहर तक पहुंचती थी किंतु आज मां का अस्तित्व अपने बच्चे की सुरक्षा, उसे अच्छा भविष्य व अच्छा नागरिक बनाने के लिए चांद-तारे तोड़ लाने तक को तैयार है इसलिए आज मां का चेहरा बदल रहा है। यह चेहरा मॉम द ग्रेट बोलने को मजबूर कर रहा है जबकि मां हमेशा ही मॉम द ग्रेट रही है।

मोटापे को कहें टा----टा-

हाल के बरसों में मोटापा लोगों की एक बड़ी समस्या बन चुका है। जो लोग फिट हैं , वे वजन बढ़ने नहीं देना चाहते और जो मोटे हैं , वे इसे घटाना चाहते हैं। एक्सर्पट्स की सलाह से यहां हम फिट रहने के तरीके बता रहे हैं :

जानें अपना BMI
यह जानना बेहद जरूरी है कि असल में फिट किसे कहें। इसका सीधा - सा फंडा है बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स। स्वस्थ व्यक्ति के लिए डब्ल्यूएचओ ने 25 और भारत सरकार ने 23 बीएमआई तय किया है क्योंकि भारतीयों के शरीर में पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले 5 फीसदी फैट ज्यादा होता है।

कैसे निकालें BMI
बॉडी मॉस इंडेक्स = वजन ( किलो में ) / लंबाई ( मीटर में ) 2

अगर आपका वजन 60 किलो है और लंबाई 160 सेंटीमीटर यानी 1.6 मीटर है।
BMI= 60 / 1.6 x 1.6 = 60 / 2.56 = 23.4(यानि आप फिट हैं)
1 . 23 या इससे कम - फिट
2 . 24 से 25- ओवरवेट
3 . 26 से 30- मोटे
4. 30 से ज्यादा - बेहद मोटे
5 . 19 से नीचे - अंडरवेट

कमर की चौड़ाई से पता लगाएं रिस्क
आप ओवरवेट हैं या नहीं , यह पता लगाने का बीएमआई अच्छा तरीका है। अगर आपका बीएमआई तय सीमा से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि आपका वजन ज्यादा है , लेकिन क्या आपको पता है कि अगर शरीर के कुछ खास एरिया में यह एक्स्ट्रा फैट हुआ तो यह और भी ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है। अब्डॉमेन के पास मौजूद फैट बाकी जगहों पर मौजूद फैट के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक है। अगर किसी के दूसरे अंगों के मुकाबले टमी पर फैट ज्यादा है तो इससे टाइप टू डायबीटीज और दिल की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। कहीं अब्डॉमेन पर ज्यादा वेट तो नहीं है , यह जानने के लिए वेस्ट साइज देखा जा सकता है , जो इस तरह है :

महिलाओं के लिए
सामान्य : 32 इंच से कम
ज्यादा : 32 से 35 इंच
बहुत ज्यादा : 35 इंच से ज्यादा

पुरुषों के लिए
सामान्य : 37 इंच से कम
ज्यादा : 37 इंच से 40 इंच
बहुत ज्यादा : 40 इंच से ज्यादा

वजन घटाने के तरीके
योग
वजन कम करने का सबसे सटीक और सरल तरीका है योग। ये आसन वजन कम करने में मददगार हैं :
कपालभाति : सांस को तेजी से नाक से बाहर फेंकें , जिससे पेट अंदर - बाहर जाएगा। 5-10 मिनट करें। हाई बीपी वाले धीरे - धीरे करें और कमर दर्द वाले कुर्सी पर बैठकर करें।

अग्निसार : खड़े होकर पैरों को थोड़ा खोलकर हाथों को जंघाओं पर रखें। सांस को बाहर रोक दें। फिर पेट की पंपिंग करें यानी पेट अंदर खींचें , फिर छोड़ें। स्लिप डिस्क , हाई बीपी या पेट का ऑपरेशन करा चुके लोग इसे न करें।

उर्ध्व हस्तोत्तानासन : खड़े होकर पैरों को थोड़ा खोलें। हाथों की उंगलियों को फंसाकर सिर के ऊपर उठा लें। सांस निकालें और कमर को लेफ्ट साइड में झुका लें। दूसरी ओर भी करें।

दुत उत्तानपादासन : कमर के बल लेटकर हाथों को जंघाओं के नीचे जमीन पर रखें। दोनों पैरों को 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं। इस प्रकार जमीन पर बिना टिकाए बार - बार पैरों को ऊपर - नीचे करते रहें। कमर दर्द वाले इसे न करें।

हृदय स्तंभासन : कमर के बल लेटकर हाथों को जंघाओं के ऊपर रखें। सांस भरकर पैरों को उठाएं। सिर और कमर को उठाएं। इस दौरान शरीर का भार हिप्स पर रहेगा।

द्विपाद साइकलिंग : कमर के बल लेटे - लेटे ही दोनों पैरों को मिलाकर एक साथ साइकलिंग की तरह घुमाएं। थकान होने तक लगातार घुमाते रहें। हाथों को कमर के नीचे रखें।

भुजंगासन : पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को हिप्स के नीचे रखें। सांस भरते हुए आगे से सिर और छाती को ऊपर उठाकर पीछे की ओर मोड़ लें।

उज्जायी प्राणायाम : थायरॉइड के मरीजों के लिए यह काफी फायदेमंद है। सीधे बैठकर सांस बाहर निकालें। अब सांस भरते हुए गले की मांसपेशियों को टाइट करें और सांस भरते जाएं। गले से घर्षण की आवाज करते जाएं। फिर नाक से सांस धीरे - से बाहर निकाल दें।

इन सभी प्राणायाम - आसनों को 8-10 बार दोहराएं। अगर सुबह नियमित रूप से ये आसन किए जाएं तो एक महीने में 5 किलो तक वजन कम हो सकता है।

नेचरोपैथी
नेचरोपैथी में वजन कम करने के लिए नेचरल तरीका अपनाया जाता हैं। इसमें तीन स्टेप होते हैं :
1. मसाज व स्टीम : मसाज के लिए शीशम , ओलिव या सरसों का तेल और जड़ी - बूटियों वाला पाउडर इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद स्टीम दी जाती है।

2. कटि स्नान : इसके लिए व्यक्ति को अलग - अलग तापमान के पानी में बिठाया जाता है। इससे कब्ज से छुटकारा मिलता है।

3. स्पेशल पैक : बॉडी पर स्पेशल पैक लगाए जाते हैं। जमीन से दो फुट नीचे से निकाली गई मिट्टी से मड पैक तैयार किया जाता है , जो शरीर से जहरीले पदार्थों को निकालता है। इसमें 12-15 सिटिंग में 5 किलो तक वजन घट सकता है। इसके लिए 2-5 हजार रुपए चार्ज किए जाते हैं।

आयुर्वेद
आयुर्वेद में इलाज मुख्यत : जड़ी - बूटियों पर आधारित होता है। यह करीब - करीब नेचरोपैथी जैसा ही है। इसमें भी मसाज और स्टीम बेस्ड तकनीक होती है। मसाज के लिए अदरक , कुलष्ठा व दूसरी बूटियों मिला तेल या पाउडर इस्तेमाल किया जाता है। फिर स्टीम दी जाती है। खास पैक भी लगाया जाता है। इन सब तरीकों से फैट पिघल जाता है। आयुर्वेद में आमतौर पर 10-15 सीटिंग में पांच किलो तक वजन घट सकता है। 5 हजार से 20 हजार रुपये तक चार्ज किए जाते हैं। इसका फायदा यह है कि शरीर ढीला नहीं पड़ता और वजन अचानक वापस नहीं आता। डॉक्टर की सलाह से त्रिफला , आयोग्यवर्धिनी , घृतकुमारी आदि दवाएं भी ले सकते हैं।

होम्योपैथी
खाना खाने के बाद दिन में तीन बार 10-15 बूंदें फायटोलका डिकंड्रा क्यू (Phytolaca Decandra Q) या फ्यूकस वेस क्यू (Fuccus Ves Q) चौथाई कप पानी में लें। कैल्केरिया कार्ब (Calc. Carb.) की 4-5 गोलियां भी दिन में तीन बार ले सकते हैं। ये दवाएं फैट कम करती हैं और नियमित लेने पर दो - तीन महीने में असर दिखने लगता है। इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं है , फिर भी होम्योपैथ की सलाह से लेना बेहतर है।

मशीनों का सहारा
साइंटिफिक तकनीक में मशीनों द्वारा मसल एक्टिविटी , ब्लड सर्कुलेशन और शरीर की लचक बढ़ाई जाती है।

मॉर्निंग वॉकर मशीन : वजन कम करने और हाई बीपी , डायबीटीज जैसी तमाम बीमारियों को दूर करने में मॉर्निंग वॉकर मशीन को काफी मददगार माना जाता है। रोजाना कुछ देर के लिए इसका इस्तेमाल कर दिन की शुरुआत की जा सकती है।

वाइब्रेशन : मशीन के जरिए शरीर पर वाइब्रेशंस दी जाती हैं। इससे मांसपेशियों की एक्टिविटी बढ़ती है , जिससे फैट बर्न होता है।

हीट थेरपी : शरीर पर पैड लपेटकर हीट दी जाती है। इससे शरीर का ताप बढ़ जाता है , जो बेसिक मेटाबॉलिज्म रेट में इजाफा करता है।

सिर्फ इन्हीं दोनों तरीकों से वजन कम करने से स्किन ढीली होने का खतरा होता है। उसके लिए मसाज की सलाह दी जाती है। मशीनी तरीकों से वजन कम करने के लिए दो से तीन हजार रुपये चार्ज किए जाते हैं।

लाइपो - आर : यह थेरपी किसी एक हिस्से से फैट घटाने में मददगार होती है। मसलन अगर पेट पर ज्यादा चर्बी है तो फौरन एक - दो इंच तक पेट कम हो जाता है। महीने भर में कुल तीन इंच तक का फर्क हो सकता है। इसमें किसी तरह का कट या सर्जरी नहीं होती। इसमें 10 से 15 हजार रुपए खर्च आता है।

सर्जरी
बेहद मोटे लोगों यानी जिन्हें 35-40 किलो वजन घटाना होता है , वे सर्जरी करा सकते हैं।

लाइपोसक्शन : इसमें शरीर से फालतू फैट को निकाला जाता है।

बैरिएट्रिक सर्जरी : इस सर्जरी को करने के कई तरीके हैं। इनमें जो सबसे पॉप्युलर है , उसमें पेट के साइज को कम कर दिया जाता है , जिससे कम खाने के बाद ही इंसान की संतुष्टि हो जाती है। यह सर्जरी उन लोगों के लिए है जो बहुत ज्यादा मोटे हैं और जिन्हें मोटापे की वजह से डायबीटीज और हाई बीपी जैसे समस्याओं ने घेर रखा है। कुछ समय पहले बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने इसी सर्जरी को कराया था।

स्टमक बाइपास : पेट में एक पाउच बनाकर सीधे इंटेस्टाइन से जोड़ दिया जाता है। इससे ज्यादा कैलरी एब्जॉर्ब नहीं होती।

सिलिकॉन बैंड : पेट में सिलिकॉन बैंड फिट कर दिया जाता है। इससे पेट भरा लगता है और भूख कम लगती है।

उम्र और मोटापा
50 साल के आसपास का समय महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इस उम्र में अकसर मोटापा आने लगता है। दरअसल , महिलाओं में इस उम्र में मासिक धर्म बंद होने वाला होता है और उनकी हॉर्मोंस प्रक्रिया में बदलाव आने लगता है। इस उम्र में थकावट आदि रहने से महिलाएं आरामपरस्त हो जाती हैं और उनके शरीर का वजन धीरे धीरे बढ़ने लगता है।

दूसरी तरफ पुरुषों को इस उम्र में दमा , खांसी , गठिया , जोड़ों का दर्द आदि हो जाते हैं , जिससे उनकी जिंदगी घर के दायरे में ही सिमटकर रह जाती है। यह स्थिति उनके मोटापे का कारण बन जाती है। ऐसे लोगों को महिलाएं हों या पुरुष घर के अंदर ही थोड़ी बहुत एक्सरसाइज , योगासन , प्राणायाम करते रहना चाहिए , जिससे वजन पर कंट्रोल रखा जा सके।

किसे कितनी कैलरी की जरूरत

उम्र

रोजाना जरूरी कैलरी
एक साल तक

100 कैलरी प्रति किग्रा शरीर के वजन के मुताबिक
1-3 साल

1200
4-6 साल

1500
7-9 साल

1800
10-12 साल

2100
13-15 साल (लड़के)

2500
13-15 साल (लड़की)

2200
16-18 साल (लड़के)

3000
16-18 साल (लड़की)

2200
पुरुष (हल्की मेहनत करने वाले)

2200
पुरुष (भारी मेहनत करने वाले)

3400
महिलाएं (हल्की मेहनत करने वाली)

1900
महिलाएं (भारी मेहनत करने वाली)

2800
किसके बजाय क्या खाएं :
-वाइट ब्रेड सैंडविच के बदले होल वीट या ब्राउन ब्रेड

-भरवां परांठा के बदले भरवां रोटी

-पुलाव / बिरयानी / वाइट राइस के बदले ब्राउन राइस ( मांड निकला )

-समोसे / पकौड़े के बदले इडली / उपमा / पोहा

-मिठाई के बदले गुड़ / सूखे मेवे

-कोल्ड ड्रिंक के बदले नारियल पानी / नीबू - पानी

-दूध वाली चाय के बदले हर्बल टी / लेमन टी

-फुल क्रीम दूध के बदले डबल टोंड दूध

-जूस के बदले संतरा / मौसमी

-मीठी लस्सी के बदले छाछ

-पनीर के बदले पनीर ( टोंड मिल्क से बना )/ टोफू

-अंडा ( फुल ) के बदले अंडे का सफेद हिस्सा

5 टॉप गलतियां , जो बढ़ाती हैं वजन

1- कम बार खाना , पर खूब खाना
कुछ लोगों को लगता है कि बार - बार खाने से बेहतर है , दिन में सिर्फ तीन बार खाना। ऐसे में ज्यादा भूख लगती है और लोग ज्यादा कैलरी ले जाते हैं। मसलन अगर ब्रेकफास्ट सुबह 9 बजे और लंच दोपहर 2 बजे लेंगे तो भूख ज्यादा लगेगी और लंच में ज्यादा खाना खाएंगे। बीच में 11 या 11:30 बजे अगर फल या ड्राइफ्रूटस या कोई और हेल्दी चीज खा लेंगे तो लंच में खाना कम खाएंगे। हेवी डिनर भी वजन बढ़ने की अहम वजहों में से है। रात में हल्का खाना खाएं।

2- वीकएंड पर दावत
कई लोग हफ्ते में पांच - छह दिन डाइटिंग करते हैं , मसलन लिक्विड डाइट पर रहते हैं , फल सब्जी खाते हैं पर वीकएंड पर जमकर खाते हैं। उन्हें लगता है कि एक दिन खुलकर खाने से क्या फर्क पड़ता है। यह सही नहीं है। इससे पूरे हफ्ते का संयम बेकार जाता है और एक ही दिन में हफ्ते भर में की कैलरी शरीर में लौट आती हैं।

3- खाने के बाद मीठा
ज्यादातर लोगों के घर में खाने के बाद मीठे का चलन है। यह कॉम्बिनेशन और कैलरी , दोनों लिहाज से गलत है। गलत कॉम्बिनेशन इसलिए कि भारी कार्बोहाइड्रेट या फैट के बाद शुगर नहीं खाना चाहिए। साथ ही मिठाई में मौजूद कैलरी सेहत के लिए नुकसानदेह हैं। खाने के बाद मीठे का मन है तो गुड़ ले लें , लेकिन कम। गुड़ में मौजूद आयरन सेहत के लिए अच्छा है। सौंफ और किशमिश ले सकते हैं। सौंफ खाना पचाने में मदद करती है और किशमिश सीधे ग्लूकोज में नहीं बदलती।

4- शुगर - फ्री चीजें
आजकल शुगर - फ्री या डाइट आइटम फैशन में हैं। कई लोग नेचरल शुगर न लेकर शुगर - फ्री लेते हैं। इससे वे चीनी के जरिए मिलनेवाली कैलरी से तो दूर रहते हैं पर लंबे वक्त तक शुगर - फ्री लेना अच्छा नहीं है। शुगर - फ्री आइटम्स में आर्टिफिशल चीजें होती हैं , जिन्हें लंबे समय तक नहीं खाना चाहिए।

5- बिंज ईटिंग की आदत
एक टॉफी या चॉकलेट से क्या होता है , यह बात अक्सर लोग बोलते हैं , लेकिन यही छोटी चीजें मोटापे की वजह बनती हैं। हाई कैलरी स्नैकिंग ( पकौड़े , समोसे , नमकीन , बिस्कुट आदि ) और बिंज ईटिंग ( बीच - बीच में छुटपुट खाना ) की आदत वजन बढ़ने की बड़ी वजहों में से हैं। जो लोग चॉकलेट के शौकीन हैं , वे डार्क चॉकलेट की बजाय वेफर वाली चॉकलेट खाएं। स्नैक्स में मुरमुरे , रोस्टेड ( भुने हुए ) स्नैक्स या नॉर्मल पॉपकॉर्न ले सकते हैं।

कैसी हो आपकी डाइट
वजन घटाने के लिए सही वक्त पर सही खाना बेहद जरूरी है।

तीनों वक्त खाना खाएं
अगर वजन घटाना चाहते हैं तो सबसे पहले जरूरी है कि कोई भी खाना छोड़ें नहीं। तीन प्रॉपर मील और बीच में दो स्नैक्स जरूर लें। कोई खाना छोड़ेंगे तो अगली बार ज्यादा खाएंगे , जो सही नहीं है।

दिन की शुरुआत
दिन की शुरुआत कॉफी या चाय से न करें। नीबू पानी , नारियल पानी , जूस लिया जा सकता है।

ब्रेकफास्ट पर फोकस
दिन भर के खाने में सबसे ज्यादा फोकस ब्रेकफास्ट पर होना चाहिए। अक्सर लोग वजन कम करने की धुन में ब्रेकफास्ट नहीं लेते लेकिन रिसर्च कहती हैं कि अगर नियमित रूप से ब्रेकफास्ट लिया जाए तो लंबी अवधि में वजन कम होता है। नाश्ते में हमेशा एक जैसी चीजें न खाएं , बल्कि बदलते रहें।

जल्दी करें डिनर
दिन का खाना पूरा होना चाहिए , जबकि डिनर सबसे हल्का। डिनर रात में 8 बजे तक कर लेना चाहिए। ऐसा संभव नहीं है तो भी सोने से दो घंटे पहले खाना जरूर खा लें। राजमा , चावल जैसी चीजें रात में नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये आसानी से पचती नहीं हैं। अगर देर रात तक जागते हैं और भूख लगती है तो फ्रूट्स या सलाद खाने चाहिए।

चीनी और जंक फूड से तौबा
शुगर , जंक फूड , फास्ट फूड , मिठाइयां खाने की लिस्ट से निकाल दें। कैंडी , जेली , शहद , मिठाई और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूर रहें। इसी तरह बिस्कुट , केक , पेस्ट्री में काफी फैट और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होता है , जो मोटापा बढ़ाता है। चीनी ज्यादा नहीं खानी चाहिए। 5 ग्राम (1 चम्मच ) चीनी में 20 कैलरी होती हैं।

नमक में कटौती
खाने में ऊपर से नमक न मिलाएं। नमक शरीर में पानी को रोकता है , इसलिए ज्यादा नमक से बचना चाहिए। दिन भर में पांच ग्राम ( करीब एक चम्मच ) नमक काफी होता है। इसमें सब्जी आदि में डाला गया नमक भी शामिल है। दो चम्मच नमक से ज्यादा बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। कोशिश करें कि रात में 10 बजे के बाद नमक न लें। सलाद , रायता , ड्राई - फ्रूट्स , नीबू - पानी आदि में नमक से परहेज करें और टेबल सॉल्ट से दूर रहें। हेल्दी खाने का मतलब फीके खाने से नहीं है।

मसाले
परंपरागत मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं , बल्कि उनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स , एंटी - ऑक्सिडेंट और फाइबर भी होते हैं। बस इन्हें भूनने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल न किया जाए।

साबुत व छिलके वाली चीजें
बिना छना आटा खाएं। गेहूं के साथ चने का आटा मिलाने से पाचन अच्छा होता है। गेहूं या जौ का आटा ( बिना छना ), ब्राउन ब्रेड , दलिया , कॉर्न या वीट फ्लैक्स , ब्राउन राइस व छिलके वाली दालें आदि खाएं। अंकुरित अनाज व दालें विटामिन , मिनरल , प्रोटीन से भरपूर होती हैं।

छुटपुट खाने को बाय
दो घंटे के बीच में कुछ न खाएं। छुटपुट खाना ही सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन है। बीच - बीच में बिस्कुट , नमकीन , ड्राई - फ्रूट्स , कोल्ड ड्रिंक , चाय - कॉफी पीते रहना काफी कैलरी जमा कर देता है।

मौसमी फल
मौसमी फल खाएं। जूस के बजाय साबुत फल बेहतर है। सेब , बेरी लें। सेब में पेक्टिन केमिकल होता है। सेब के साथ - साथ ज्यादातर सभी फलों के छिलकों में पेक्टिन पाया जाता है। यह फैट को अब्जॉर्ब करता है।

सोयाबीन और ड्राई फ्रूट्स
सोयाबीन में मौजूद लेसिथिन केमिकल सेल्स पर फैट जमा होने से रोकता है। हफ्ते में कम - से - कम तीन बार सोयाबीन खाने से शरीर में फैट से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सोयाबीन को अंकुरित करके रोज सुबह लिया जा सकता है। इसके अलावा लहसुन का रस शरीर में मौजूद फैट्स को कम करने में मददगार है। लहसुन कच्चा खाएं और चबाकर खाएं तो बेहतर है। साथ ही मुट्ठी भर नट्स रोज खाने चाहिए। इनमें बादाम , किशमिश , अखरोट और पिस्ता ले सकते हैं। लेकिन ये फ्राइड न हों और इनमें नमक भी नहीं होना चाहिए।

सफेद से परहेज , रंगीन से प्यार
वजन कम करना चाहते हैं तो ज्यादातर सफेद चीजें ( आलू , मैदा , चीनी , चावल आदि ) कम करें और मल्टिग्रेन या मल्टिकलर खाने ( दालें , गेहूं , चना , जौ , गाजर , पालक , सेब , पपीता आदि ) पर जोर दें।

दूध , दही और पनीर
बिना फैट वाला दूध या दही खाएं। दूध में फैट कम करने के लिए उसमें पानी मिलाने से बेहतर है कि मलाई उतार लें। पानी मिलाने से दूध में पोषक तत्व कम होते हैं। सोया से बना पनीर , दूध और दही खा सकते हैं। जिन्हें दूध या सोया प्रॉडक्ट से एलर्जी है , वे राजमा , नीबू , टमाटर , मेथी , पालक , बादाम , काजू जैसी चीजें खाकर कैल्शियम की कमी पूरी कर सकते हैं।

पानी व तरल पदार्थ
दिन में 2-3 लीटर पानी व तरल पदार्थ लें। पानी न सिर्फ फैट कम करता है , बल्कि शरीर से जहरीले तत्वों को भी निकालता है। यह भूख कम करता है और कब्ज रोकता है। खाने के 15 मिनट बाद घूंट - घूंट कर गर्म पानी पीना चाहिए। जब भी पानी पिएं , ठंडे या सादे की बजाय गुनगुने पानी को तरजीह दें।

सबसे जरूरी है स्पेशलिस्ट से सलाह करके योजना बनाना और उस पर लगातार अमल करना। आमतौर पर लोग वजन घटाने के लिए डाइटिंग को ही एक तरीका मानते हैं और भूखे रहने लगते हैं , जो सही नहीं है। डाइटिंग का मतलब भूखे रहना नहीं है , बल्कि सही वक्त पर उचित मात्रा में कम कैलरी और लो फैट वाली फाइबर युक्त चीजें खाना है।

असल में जब हम कम खाते हैं तो बॉडी का मेटाबॉलिज्म कम हो जाता है और मिनरल व विटामिन की कमी हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप भरपूर , लेकिन सही खाना खाएं।

वजन घटाने के लिए हमें थ्री - डाइमेंशनल ( तीन पहलुओं पर ) कोशिश करनी होगी :

1. कैलरी कम लें। शरीर को कम कैलरी मिलेगी तो वह पहले से जमा कैलरी का इस्तेमाल करेगा।

2 . ज्यादा कैलरी बर्न करें। एक्सरसाइज और शारीरिक मेहनत करने पर शरीर में जमा फालतू कैलरी बर्न होगी।

3. स्ट्रेस कम करें। इससे आपको भूख ज्यादा लगती है और आप इमोशनल ईटिंग करते हैं।

मसलन , अगर आपने 4 किलो वजन कम करने का टारगेट है तो सबसे पहले खाने में से 1000 कैलरी की कटौती करें। फिर कैलरी खर्च करें। आधे घंटे तेज सैर से 80 कैलरी तक बर्न हो जाती हैं। बाकी के लिए एरोबिक्स , जॉगिंग , स्विमिंग या दूसरी एक्सरसाइज की जा सकती हैं।

तीसरी जरूरी चीज है , लाइफस्टाइल में बदलाव। लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें , नौकर से पानी मांगने के बजाय खुद उठकर जाएं , आसपास रिक्शे या दूसरे वीइकल के बजाय पैदल जाएं। इन छोटी - छोटी चीजों से काफी कैलरी काफी खर्च होती हैं। एक महीने में 3-4 किलो वजन घटाना सही रहता है।

डाइट और एक्सरसाइज के अलावा वजन घटाने के कुछ और भी तरीके हैं। इनमें से कुछ घर में अपनाए जा सकते हैं तो कुछ के लिए एक्सपर्ट या जिम का सहारा लेना होगा।

उडऩे लगे बाल तो



आजकल कम उम्र में गंजापन या बहुत अधिक बाल झड़ने की समस्या आम हो चली है। गंजेपन के कारण कोई भी व्यक्ति अपनी उम्र से बड़ा दिखाई देने लगता है और एक बाल उड़ने शुरू हो जाते हैं तो उन्हें रोकना बहुत मुश्किल होता है। वैसे तो बाल झड़ने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अनुवांशिक कारणों के अलावा विकार, किसी विष का सेवन कर लेने, उपदंश, दाद, एक्जिमा आदि के कारण ऐसा हो जाता है। आज हम बताने जा रहे हैं आपको कुछ ऐसे नुस्खों के बारे में जो गंजेपन की समस्या में रामबाण हैं....

- नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। पिसा हुआ नमक व काली मिर्च एक-एक चम्मच नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर गंजेपन वाले स्थान पर लगाने से बाल आ जाते हैं। कलौंजी को पीसकर पानी में मिला लें। इस पानी से सिर को कुछ दिनों तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं और बाल घने भी होना शुरू हो जाते हैं।

- अगर बालों का गुच्छा किसी स्थान से उड़ जाए तो गंजे के स्थान पर नींबू रगड़ते रहने से बाल दुबारा आने लगते हैं। जहां से बाल उड़ जाएं तो प्याज का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते हैं। बालों में नीम का तेल लगाने से भी राहत मिलती है।

- बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झड़ने की समस्या दूर हो जाएगी।

- लहसुन का खाने में अधिक प्रयोग करें। उड़द की दाल उबाल कर पीस लें। इसका सोते समय सिर पर गंजेपन की जगह लेप करें। हरे धनिए का लेप करने से भी बाल आने लगते हैं। केले के गूदे को नींबू के रस के साथ पीस लें और लगाएं, इससे लाभ होता है।अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।

चम्मच भर शहद


शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाए रखने के लिए शहद का रोजाना सेवन बहुत अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृत माना गया है। यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है क्योंकि शरीर को इससे ऊर्जा प्राप्त होती है।

शहद बहुत ही लाभकारी प्राकृतिक औषधी है। इसके सेवन से शरीर निरोगी रहता है। रोजाना दो चम्मच शहद सेवन करने के अनेकों लाभ हैं। इसे खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। इसके सेवन से खुब भूख लगती है। बुढ़ापे में इसके सेवन से जवानी सा सामथ्र्य व शक्ति मिलती है। शहद कई तरह के विटामिन्स से भरपूर है। शहद में विटामिन ए, बी, सी, पाए जाते हैं।

इसके अलावा आयरन, कैल्शियम, सोडियम फास्फोरस, आयोडीन भी पाए जाते हैं। इसीलिए प्रतिदिन शहद का सेवन करने से शरीर में शक्ति और ताजगी बनी रहती है। शहद रोजाना खाने से सेहत बनती है और शरीर मोटा होता है। शरीर की दुर्बलता दूर करने के लिए रात को बिना चीनी के एक गिलास दूध में शहद डालकर पीने से शरीर सुडौल, पुष्ट व बलशाली बनता है।

रोजाना एक चम्मच शहद से दिमागी कमजोरियां दूर होती है।उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में शहद कारगर है।रक्त को साफ करने यानी रक्त शुद्धि के लिए भी शहद का सेवन करना चाहिए। शहद से मांसपेशियां बलवती होती हैं। दिल को मजबूत करने, और हृदय संबंधी रोगों से बचने के लिए प्रतिदिन शहद खाना अच्छा रहता है। शहद, मलाई और बेसन का उबटन लगाने से चेहरे पर चमक आ जाती है।

जबरदस्त फायदे
==========

शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाए रखने के लिए शहद का रोजाना सेवन बहुत अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृत माना गया है। यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है क्योंकि शरीर को इससे ऊर्जा प्राप्त होती है।


- दूध में शक्कर की जगह शहद लेने से गैस नहीं बनती और पेट के कीड़े भी निकल जाते हैं।

- बढ़े हुए ब्लडप्रेशर में शहद का सेवन लहसुन के साथ करना लाभप्रद होता है।


- रोजाना शहद खाने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। शहद का सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।


- शहद रोज खाने से आंखों की ज्योति बढ़ती है। आंखें स्वच्छ व चमकीली बनती है।

- ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का रंग साफ होता है तथा चेहरे पर लालिमा एवं कांति भी आ जाती है।

- त्वचा सम्बन्धी रोग हो या कहीं जल-कट गया हो तो शहद लगाएं। जादू सा असर दिखाई


- प्रतिदिन 25 ग्राम शहद दूध के साथ जरूर लें । इससे शरीर को ताकत मिलती है!


- रोजाना शहद लेने से पेट के छोटे-मोटे घाव और शुरुआती स्थिति का अल्सर शहद को दूध या चाय के साथ लेने से ठीक हो सकता है।

- कब्जियत में टमाटर या संतरे के रस में एक चम्मच शहद डालकर सेवन करें, लाभ होगा।
Photo: सर्दी में रोजाना शहद खाने के 10 जबरदस्त फायदे,रोजाना बस चम्मच भर शहद और होंगे ये फायदे ही फायदे========================
===========================  (संयोगिता सिंह)

शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाए रखने के लिए शहद का रोजाना सेवन बहुत अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृत माना गया है। यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है क्योंकि शरीर को इससे ऊर्जा प्राप्त होती है।  

शहद बहुत ही लाभकारी प्राकृतिक औषधी है। इसके सेवन से शरीर निरोगी रहता है। रोजाना दो चम्मच शहद सेवन करने के अनेकों लाभ हैं। इसे खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। इसके सेवन से खुब भूख लगती है। बुढ़ापे में इसके सेवन से जवानी सा सामथ्र्य व शक्ति मिलती है। शहद कई तरह के विटामिन्स से भरपूर है। शहद में विटामिन ए, बी, सी, पाए जाते हैं।

इसके अलावा आयरन, कैल्शियम, सोडियम फास्फोरस, आयोडीन भी पाए जाते हैं। इसीलिए प्रतिदिन शहद का सेवन करने से शरीर में शक्ति और ताजगी बनी रहती है। शहद रोजाना खाने से सेहत बनती है और शरीर मोटा होता है। शरीर की दुर्बलता दूर करने के लिए रात को बिना चीनी के एक गिलास दूध में शहद डालकर पीने से शरीर सुडौल, पुष्ट व बलशाली बनता है।

रोजाना एक चम्मच शहद से  दिमागी कमजोरियां दूर होती है।उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में शहद कारगर है।रक्त को साफ करने यानी रक्त शुद्धि के लिए भी शहद का सेवन करना चाहिए। शहद से मांसपेशियां बलवती होती हैं। दिल को मजबूत करने, और हृदय संबंधी रोगों से बचने के लिए प्रतिदिन शहद खाना अच्छा रहता है। शहद, मलाई और बेसन का उबटन लगाने से चेहरे पर चमक आ जाती है।

 जबरदस्त फायदे
==========

शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाए रखने के लिए शहद का रोजाना सेवन बहुत अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृत माना गया है। यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है क्योंकि शरीर को इससे ऊर्जा प्राप्त होती है।
 

- दूध में शक्कर की जगह शहद लेने से गैस नहीं बनती और पेट के कीड़े भी निकल जाते हैं।

- बढ़े हुए ब्लडप्रेशर में शहद का सेवन लहसुन के साथ करना लाभप्रद होता है।


- रोजाना शहद खाने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। शहद का सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
 

- शहद रोज खाने से आंखों की ज्योति बढ़ती है। आंखें स्वच्छ व चमकीली बनती है।

- ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का रंग साफ  होता है तथा चेहरे पर लालिमा एवं कांति भी आ जाती है।

- त्वचा सम्बन्धी रोग हो या कहीं जल-कट गया हो तो शहद लगाएं। जादू सा असर दिखाई


- प्रतिदिन 25 ग्राम शहद दूध के साथ जरूर लें । इससे शरीर को ताकत मिलती है!


- रोजाना शहद लेने से पेट के छोटे-मोटे घाव और शुरुआती स्थिति का अल्सर शहद को दूध या चाय के साथ लेने से ठीक हो सकता है। 

- कब्जियत में टमाटर या संतरे के रस में एक चम्मच शहद डालकर सेवन करें, लाभ होगा।

मधुमेह नहीं होता,कॉफी पीने से


क्या आप मधुमेह के शिकार हैं तो एक दिन में 4 कप कॉफी पिएं। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रोज 4 कप कॉफी पीना मधुमेह के खतरे का कम कर सकता है।

पहले के अध्ययनों से पता चला था कि कॉफी पीने से मुधमेह का खतरा कम होता है, लेकिन इसके परिणामों को लेकर विरोधभास था कि क्या यह कैंसर जैसी दीर्घकालीक बीमारियों को बढ़ावा देता है।

अब यूरोप की एक टीम ने दावा किया है कि हर दिन सामान्य मात्रा में काफी पीने वाले लोगों में मधमेह (टाइप टू) का खतरा उन लोगों की तुलना में काफी कम हो सकता है, जो कभी-कभी इसे पीते हैं या कभी नहीं पीते।


'डिप्रेशन से बचा सकती है कॉफ़ी'

कॉफ़ी का कप

वैज्ञानिकों का कहना है कि कैफ़ीन के असर की वजह से डिप्रेशन में कमी हो सकती है

चाय और कॉफ़ी के स्वास्थ्य पर न जाने कितने शोध हो चुके हैं और जहाँ कुछ उसे फ़ायदेमंद बताते हैं तो कुछ उसके नुक़सानदायक पहलू पर ज़ोर देते हैं.

अब कॉफ़ी पर आए एक नए शोध के अनुसार एक दिन में दो या उससे अधिक कप कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं के डिप्रेशन का शिकार होने की संभावना काफ़ी कम होती है.
इससे जुड़ी और सामग्रिया

अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि ऐसा प्रभाव क्यों होता है मगर शोधकर्ताओं को लगता है कि कॉफ़ी में मिलने वाली कैफ़ीन दिमाग़ पर ये असर डालती है क्योंकि कैफ़ीनमुक्त कॉफ़ी का ऐसा असर देखने को नहीं मिला.

इस शोध के नतीजे आर्काइव्स ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन में छपे हैं और इसके लिए 50 हज़ार अमरीकी महिला नर्सों का अध्ययन किया गया.

विशेषज्ञ ये संबंध समझने के लिए और अध्ययन करने पर ज़ोर दे रहे हैं.

उनका कहना है कि निश्चित ही अभी महिलाओं को ये सलाह देना जल्दबाज़ी होगी कि उन्हें अपना मूड ठीक रखने के लिए कॉफ़ी पीनी शुरू कर देनी चाहिए.

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक दल ने 1996 से 2006 के बीच के दशक में महिलाओं के स्वास्थ्य पर नज़र रखी और उनके कॉफ़ी के सेवन की मात्रा की जानकारी लेने के लिए प्रश्नावलियों का सहारा लिया.
कैफ़ीन का असर

इस अवधि में सिर्फ़ 2600 महिलाएँ डिप्रेशन का शिकार हुईं और उनमें से अधिकतर या तो बिल्कुल ही कॉफ़ी नहीं पीती थीं या बहुत ही कम कॉफ़ी का सेवन करती थीं.

हफ़्ते में एक कप या उससे कम कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं की तुलना जब ऐसी महिलाओं से की गई जो दिन में दो या तीन कप कॉफ़ी पीती थीं तो कॉफ़ी ज़्यादा पीने वाली महिलाओं में डिप्रेशन होने का ख़तरा 15 प्रतिशत तक कम पाया गया.

वहीं चार या उससे अधिक कप कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं में ये ख़तरा 20 प्रतिशत से भी कम हो गया.

अध्ययन के अनुसार नियमित रूप से कॉफ़ी पीने वालों के धूम्रपान करने या शराब पीने की संभावना भी ज़्यादा थी और उनके चर्च जाने या सामुदायिक कार्यों में हिस्सेदारी कम रहती थी. उन महिलाओं का वज़न बढ़ जाने या उनमें उच्च रक्त चाप की समस्या भी नहीं देखी गई.

शोधकर्ताओं के अनुसार ये अध्ययन पहले के उन शोधों के अनुरूप ही पाए गए हैं जिनके अनुसार कॉफ़ी पीने वालों की आत्महत्या की दर काफ़ी कम होती है.

शोधकर्ता इसकी वजह कैफ़ीन को मान रहे हैं.
Photo: मधुमेह नहीं होता,कॉफी पीने से.......'डिप्रेशन से बचा सकती है कॉफ़ी'
===================================== (संयोगिता सिंह)

क्या आप मधुमेह के शिकार हैं तो एक दिन में 4 कप कॉफी पिएं। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रोज 4 कप कॉफी पीना मधुमेह के खतरे का कम कर सकता है।

पहले के अध्ययनों से पता चला था कि कॉफी पीने से मुधमेह का खतरा कम होता है, लेकिन इसके परिणामों को लेकर विरोधभास था कि क्या यह कैंसर जैसी दीर्घकालीक बीमारियों को बढ़ावा देता है।

अब यूरोप की एक टीम ने दावा किया है कि हर दिन सामान्य मात्रा में काफी पीने वाले लोगों में मधमेह (टाइप टू) का खतरा उन लोगों की तुलना में काफी कम हो सकता है, जो कभी-कभी इसे पीते हैं या कभी नहीं पीते।


'डिप्रेशन से बचा सकती है कॉफ़ी'

कॉफ़ी का कप

वैज्ञानिकों का कहना है कि कैफ़ीन के असर की वजह से डिप्रेशन में कमी हो सकती है

चाय और कॉफ़ी के स्वास्थ्य पर न जाने कितने शोध हो चुके हैं और जहाँ कुछ उसे फ़ायदेमंद बताते हैं तो कुछ उसके नुक़सानदायक पहलू पर ज़ोर देते हैं.

अब कॉफ़ी पर आए एक नए शोध के अनुसार एक दिन में दो या उससे अधिक कप कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं के डिप्रेशन का शिकार होने की संभावना काफ़ी कम होती है.
इससे जुड़ी और सामग्रिया

अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि ऐसा प्रभाव क्यों होता है मगर शोधकर्ताओं को लगता है कि कॉफ़ी में मिलने वाली कैफ़ीन दिमाग़ पर ये असर डालती है क्योंकि कैफ़ीनमुक्त कॉफ़ी का ऐसा असर देखने को नहीं मिला.

इस शोध के नतीजे आर्काइव्स ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन में छपे हैं और इसके लिए 50 हज़ार अमरीकी महिला नर्सों का अध्ययन किया गया.

विशेषज्ञ ये संबंध समझने के लिए और अध्ययन करने पर ज़ोर दे रहे हैं.

उनका कहना है कि निश्चित ही अभी महिलाओं को ये सलाह देना जल्दबाज़ी होगी कि उन्हें अपना मूड ठीक रखने के लिए कॉफ़ी पीनी शुरू कर देनी चाहिए.

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक दल ने 1996 से 2006 के बीच के दशक में महिलाओं के स्वास्थ्य पर नज़र रखी और उनके कॉफ़ी के सेवन की मात्रा की जानकारी लेने के लिए प्रश्नावलियों का सहारा लिया.
कैफ़ीन का असर

इस अवधि में सिर्फ़ 2600 महिलाएँ डिप्रेशन का शिकार हुईं और उनमें से अधिकतर या तो बिल्कुल ही कॉफ़ी नहीं पीती थीं या बहुत ही कम कॉफ़ी का सेवन करती थीं.

हफ़्ते में एक कप या उससे कम कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं की तुलना जब ऐसी महिलाओं से की गई जो दिन में दो या तीन कप कॉफ़ी पीती थीं तो कॉफ़ी ज़्यादा पीने वाली महिलाओं में डिप्रेशन होने का ख़तरा 15 प्रतिशत तक कम पाया गया.

वहीं चार या उससे अधिक कप कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं में ये ख़तरा 20 प्रतिशत से भी कम हो गया.

अध्ययन के अनुसार नियमित रूप से कॉफ़ी पीने वालों के धूम्रपान करने या शराब पीने की संभावना भी ज़्यादा थी और उनके चर्च जाने या सामुदायिक कार्यों में हिस्सेदारी कम रहती थी. उन महिलाओं का वज़न बढ़ जाने या उनमें उच्च रक्त चाप की समस्या भी नहीं देखी गई.

शोधकर्ताओं के अनुसार ये अध्ययन पहले के उन शोधों के अनुरूप ही पाए गए हैं जिनके अनुसार कॉफ़ी पीने वालों की आत्महत्या की दर काफ़ी कम होती है.

शोधकर्ता इसकी वजह कैफ़ीन को मान रहे हैं.

खाने के बाद चीकू खाने से हो जाता है इन बीमारियों का इलाज


चीकू एक ऐसा फल है जो हर मौसम में आसानी से मिल जाता है और बहुत स्वाद भी होता है। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। इसमें फास्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं चीकू खाने के कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में ....


गर्मियों में चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फुर्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं। चीकू की छाल बुखार नाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है। चीकू के फल में थोड़ी सी मात्रा में संपोटिन नामक तत्व रहता है। चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है।

चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। तथा इसमें फस्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है।

चीकू शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू हमारे ह्रदय और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है। चीकू कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है।चीकू खाने से के होने का खतरा कम होता है।

चीकू में होता है जो की फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।यह हृदय रोगों और गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।यह ऊर्जा का एक अच्छा स्त्रोत है, क्योंकि इसके गूदे में 14 प्रतिशत मात्रा शर्करा की होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन और अल्प मात्रा में आयरन व विटामिन भी पाया जाता है। डायबिटीज के रोगी इसे न सेवन करें तो ठीक है।
-चीकू हमारे दिल और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है।

- यह गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।

- चीकू फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।

- कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है।

- चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।
Photo: खाने के बाद चीकू खाने से हो जाता है इन बीमारियों का इलाज
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 (संयोगिता सिंह)
चीकू एक ऐसा फल है जो हर मौसम में आसानी से मिल जाता है और बहुत स्वाद भी होता है। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। इसमें फास्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं चीकू खाने के कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में ....
 

गर्मियों में चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फुर्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं। चीकू की छाल बुखार नाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है। चीकू के फल में थोड़ी सी मात्रा में संपोटिन नामक तत्व रहता है। चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है।

चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। तथा इसमें फस्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है।

चीकू शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू हमारे ह्रदय और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है। चीकू कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है।चीकू खाने से के होने का खतरा कम होता है।

चीकू में होता है जो की फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।यह हृदय रोगों और गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।यह ऊर्जा का एक अच्छा स्त्रोत है, क्योंकि इसके गूदे में 14 प्रतिशत मात्रा शर्करा की होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन और अल्प मात्रा में आयरन व विटामिन भी पाया जाता है। डायबिटीज के रोगी इसे न सेवन करें तो ठीक है।
-चीकू हमारे दिल और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है।

- यह गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।

- चीकू  फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।

-  कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है। 

- चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।

मोटापा जल्दी से घटाना है तो ऐसे खाएं लहसुन


मान्यता है कि देव-दानव के बीच हुए अमृत युद्ध में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती पर जिस पौधे की उत्पति हुई। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन एक अमृत रासायन है। लेकिन चूंकी माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग क्षीण नहीं होते हैं।


- यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन कब्ज को मिटाने वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग-

- लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें।


- लहसुन की चटनी खाना चाहिए और लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए।


- लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज फांकना चाहिए।

कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे...इन बीमारियों में है रामबाण
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लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।

1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।

2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।

3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।

4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।

5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।

7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।

8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।

9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।

10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
Photo: मोटापा जल्दी से घटाना है तो ऐसे खाएं लहसुन
=========================   (संयोगिता सिंह)

मान्यता है कि देव-दानव के बीच हुए अमृत युद्ध में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती पर जिस पौधे की उत्पति हुई। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन एक अमृत रासायन है। लेकिन चूंकी माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग क्षीण नहीं होते हैं।
 

- यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन कब्ज को मिटाने वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग-

- लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ  सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें।


- लहसुन की चटनी खाना चाहिए और  लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए। 
 

- लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज फांकना चाहिए। 

कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे...इन बीमारियों में है रामबाण
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लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।

1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।

2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।

3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।

4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।

5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।

7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।

8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।

9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।

10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।

दांत का दर्द ठीक हो जाएगा


दांत का दर्द एक ऐसा दर्द है जो किसी भी उम्र में पेरशान कर सकता है। दांत का दर्द होने पर अधिकतर लोग बहुत ज्यादा एलोपेथिक दवाईयां ले लेते हैं जो कि शरीर के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। इसीलिए अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो घर पर ये आयुर्वेदिक मंजन बनाकर ट्राय करें। इससे आपको दांत के दर्द से जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा।

- काली मिर्च 10 ग्राम,सोनगेरु 20 ग्राम और नौसादर 10 ग्राम लेकर महीन पीसकर पाउडर की तरह चूर्ण बना लें। इसे मंजन की तरह दांतों पर मलने से दांत के दर्द से छुटकारा मिलता है।

- मिट्टी के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से दांत का दर्द जल्द ही शंात हो जाता है।

- नाकुली की पत्तियो को पीसकर टिकिया बना लें और जिस ओर के दांत में दर्द हों उसके विपरीत हाथ वाले कंधे पर ये टिकिया रखकर कपड़े से बांध दे। निश्चित ही दांत की पीड़ा में फायदा होगा।

- बादाम के छिलकों की राख 20 ग्राम, 20 ग्राम माजूफल 20 ग्राम, सेंधा नमक 20 ग्राम, अजवाइन सत्व 3 ग्राम और अफीम 3 ग्राम सभी को पीसकर महीन पाउडर बना लें, इसे मंजन की तरह दांतों पर लगाने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
Photo: घर पर बनाएं ये आयुर्वेदिक मंजन कैसा भी हो दांत का दर्द ठीक हो जाएगा
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(संयोगिता सिंह)
दांत का दर्द एक ऐसा दर्द है जो किसी भी उम्र में पेरशान कर सकता है। दांत का दर्द होने पर अधिकतर लोग बहुत ज्यादा एलोपेथिक दवाईयां ले लेते हैं जो कि शरीर के लिए बहुत  हानिकारक होती हैं। इसीलिए अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो घर पर ये आयुर्वेदिक मंजन बनाकर ट्राय करें। इससे आपको दांत के दर्द से जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा।

- काली मिर्च 10 ग्राम,सोनगेरु 20 ग्राम और नौसादर 10 ग्राम लेकर महीन पीसकर पाउडर की तरह चूर्ण बना लें। इसे मंजन की तरह दांतों पर मलने से दांत के दर्द से छुटकारा मिलता है।

- मिट्टी के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से दांत का दर्द जल्द ही शंात हो जाता है।

- नाकुली की पत्तियो को पीसकर टिकिया बना लें और जिस ओर के दांत में दर्द हों उसके विपरीत हाथ वाले कंधे पर ये टिकिया रखकर कपड़े से बांध दे। निश्चित ही दांत की पीड़ा में फायदा होगा। 

- बादाम के छिलकों की राख 20 ग्राम, 20  ग्राम माजूफल 20 ग्राम, सेंधा नमक 20  ग्राम, अजवाइन सत्व 3 ग्राम और अफीम 3 ग्राम सभी को पीसकर महीन पाउडर बना लें, इसे मंजन की तरह दांतों पर लगाने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
Photo: घर पर बनाएं ये आयुर्वेदिक मंजन कैसा भी हो दांत का दर्द ठीक हो जाएगा
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(संयोगिता सिंह)
दांत का दर्द एक ऐसा दर्द है जो किसी भी उम्र में पेरशान कर सकता है। दांत का दर्द होने पर अधिकतर लोग बहुत ज्यादा एलोपेथिक दवाईयां ले लेते हैं जो कि शरीर के लिए बहुत  हानिकारक होती हैं। इसीलिए अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो घर पर ये आयुर्वेदिक मंजन बनाकर ट्राय करें। इससे आपको दांत के दर्द से जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा।

- काली मिर्च 10 ग्राम,सोनगेरु 20 ग्राम और नौसादर 10 ग्राम लेकर महीन पीसकर पाउडर की तरह चूर्ण बना लें। इसे मंजन की तरह दांतों पर मलने से दांत के दर्द से छुटकारा मिलता है।

- मिट्टी के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से दांत का दर्द जल्द ही शंात हो जाता है।

- नाकुली की पत्तियो को पीसकर टिकिया बना लें और जिस ओर के दांत में दर्द हों उसके विपरीत हाथ वाले कंधे पर ये टिकिया रखकर कपड़े से बांध दे। निश्चित ही दांत की पीड़ा में फायदा होगा। 

- बादाम के छिलकों की राख 20 ग्राम, 20  ग्राम माजूफल 20 ग्राम, सेंधा नमक 20  ग्राम, अजवाइन सत्व 3 ग्राम और अफीम 3 ग्राम सभी को पीसकर महीन पाउडर बना लें, इसे मंजन की तरह दांतों पर लगाने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।

बीमारियों को जड़ से मिटा देगा


त्रिफला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधि है जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रिफला के सेवन से बहुत फायदे हैं। स्वस्थ रहने के लिए त्रिफला चूर्ण महत्वपूर्ण है। त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है।

विधि- सूखा देसी आंवला, बड़ी हर्रे व बहेड़ा लेकर गुठली निकाल दें। तीनों समान मात्रा में मिलाकर पीस लें।कपड़े से छानकर रखें।

- इसके नियमित सेवन से कमजोरी दूर होती है।

- त्रिफला के नियमित सेवन से लंबे समय तक रोगों से दूर रहा जा सकता है।

- त्रिफला और इसका चूर्ण तीनों दोषों यानी वात,पित्त व कफ को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

- बालों के खराब होने और समय से पूर्व सफेद होने से भी त्रिफला के सेवन से बचा जा सकता है।

- गाय व शहद के मिश्रण में (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदानस्वरूप है। संयम के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से आंखों के सारे रोग दूर हो जाते हैं। बुढ़ापे तक चश्मा नहीं लगेगा।

-त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।

- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

- रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्जियत नहीं रहती।

- सुबह के समय तरोताजा होकर खाली पेट ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें और इसके बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें।इसे लेने से पेट से जुड़ी सारी बीमारियां मिट जाएंगी।
Photo: ये है एक आयुर्वेदिक नुस्खा जो इन सारी बीमारियों को जड़ से मिटा देगा 
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(संयोगिता सिंह)
त्रिफला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधि है जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रिफला के सेवन से बहुत फायदे हैं। स्वस्थ रहने के लिए त्रिफला चूर्ण महत्वपूर्ण है। त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है।

विधि- सूखा देसी आंवला, बड़ी हर्रे व बहेड़ा लेकर गुठली निकाल दें। तीनों समान मात्रा में मिलाकर पीस लें।कपड़े से छानकर रखें।

- इसके नियमित सेवन से कमजोरी दूर होती है।

- त्रिफला के नियमित सेवन से लंबे समय तक रोगों से दूर रहा जा सकता है।

- त्रिफला और इसका चूर्ण तीनों दोषों यानी वात,पित्त व कफ को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

- बालों के खराब होने और समय से पूर्व सफेद होने से भी त्रिफला के सेवन से बचा जा सकता है।

- गाय  व शहद के मिश्रण में (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदानस्वरूप है। संयम के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से आंखों के सारे रोग दूर हो जाते हैं। बुढ़ापे तक चश्मा नहीं लगेगा।

-त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।

- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

- रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्जियत नहीं रहती।

- सुबह के समय तरोताजा होकर खाली पेट ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें और इसके बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें।इसे लेने से पेट से जुड़ी सारी बीमारियां मिट जाएंगी।

चेहरा चमकने लगेगा


मौसम के बदलाव का सबसे ज्यादा फर्क स्किन पर दिखाई पड़ता है। अक्सर ज्यादा ठंड में स्किन की देखभाल पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर स्किन रूखी व डल दिखाई पड़ती है। मौसम के प्रभाव के कारण चेहरे की चमक गायब हो जाती है,चेहरा काला पड़ जाता है। ऐसे में चेहरे की चमक को बरकरार रखने की चिंता सताने लगती है। इसलिए ठंड के मौसम में बेफिक्र रहना है तो अपनाइए ये घरेलू नुस्खें....

1- पेट साफ रहे तो त्वचा की समस्याएं नहीं होती है। पेट का हाजमा ठीक न हो तो चेहरे पर कील-मुंहासे हो सकते हैं। इसीलिए स्किन को स्वस्थ रखने के लिए कब्ज को दूर करना बहुत जरुरी है। पेट साफ करने के लिए प्रतिदिन सुबह-सुबह गुनगुने पानी में शहद की कुछ बूंदे डालकर पीएं। इससे कील-मुंहासे की समस्या समाप्त हो जाएगी।

2-दो छोटे चम्मच बेसन में आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर खूब फेंटें। फिर इस लेप में दस बूंद गुलाब जल व दस बूंद नींबू मिलाकर खूब फेंटे। स्नान से पूर्व इस लेप को चेहरे पर मलें। ऑयली स्किन वालों को चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। केवल दही लगाकर चेहरा धोएं तो स्किन ग्लो करने लगती है और चेहरे पर मौसम का प्रभाव नहीं दिखाई पड़ता है।

3- बार-बार ठंडे पानी से चेहरा धोते रहें। साबुन या फेसवॉश का प्रयोग कम से कम ही करें। अपना टॉवेल अलग रखें।चेहरे की गंदगी और धूल-मिट्टी साफ करने के लिए टमाटर के टुकड़े चेहरे पर धीरे-धीरे रगड़ें। यदि आपके चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ गए हैं तो नींबू के छिलके पर थोड़ी सी चीनी डालें और फिर छिलके को दाग-धब्बे वाले स्थान पर धीरे-धीरे रगड़ें।

4- पानी ज्यादा पीएं। रोजाना कम से कम दस गिलास पानी पीएं क्योंकि पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है। अधिक पानी पीने से त्वचा पर झुर्रिया नहीं पड़ती हैं।
 (5 photos)
Photo: सर्दियों में ये 4 काम करेंगे तो चेहरा चमकने लगेगा
============================  (संयोगिता सिंह)
मौसम के बदलाव का सबसे ज्यादा फर्क स्किन पर दिखाई पड़ता है। अक्सर ज्यादा ठंड में स्किन की देखभाल पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर स्किन रूखी व डल दिखाई पड़ती है। मौसम के प्रभाव के कारण चेहरे की चमक गायब हो जाती है,चेहरा काला पड़ जाता है। ऐसे में चेहरे की चमक को बरकरार रखने की चिंता सताने लगती है। इसलिए ठंड के मौसम में बेफिक्र रहना है तो अपनाइए ये घरेलू नुस्खें....

1- पेट साफ रहे तो त्वचा की समस्याएं नहीं होती है। पेट का हाजमा ठीक न हो तो चेहरे पर कील-मुंहासे हो सकते हैं। इसीलिए स्किन को स्वस्थ रखने के लिए कब्ज को दूर करना बहुत जरुरी है। पेट साफ करने के लिए प्रतिदिन सुबह-सुबह गुनगुने पानी में शहद की कुछ बूंदे डालकर पीएं। इससे कील-मुंहासे की समस्या समाप्त हो जाएगी। 

2-दो छोटे चम्मच बेसन में आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर खूब फेंटें। फिर इस लेप में दस बूंद गुलाब जल व दस बूंद नींबू मिलाकर खूब फेंटे। स्नान से पूर्व इस लेप को चेहरे पर मलें। ऑयली स्किन वालों को चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। केवल दही लगाकर चेहरा धोएं तो स्किन ग्लो करने लगती है और चेहरे पर मौसम का प्रभाव नहीं दिखाई पड़ता है।

3- बार-बार ठंडे पानी से चेहरा धोते रहें। साबुन या फेसवॉश का प्रयोग कम से कम ही करें। अपना टॉवेल अलग रखें।चेहरे की गंदगी और धूल-मिट्टी साफ करने के लिए टमाटर के टुकड़े चेहरे पर धीरे-धीरे रगड़ें।  यदि आपके चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ गए हैं तो नींबू के छिलके पर थोड़ी सी चीनी डालें और फिर छिलके को दाग-धब्बे वाले स्थान पर धीरे-धीरे रगड़ें।

4-  पानी ज्यादा पीएं। रोजाना कम से कम दस गिलास पानी पीएं क्योंकि पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है। अधिक पानी पीने से त्वचा पर झुर्रिया नहीं पड़ती हैं।
Photo: सर्दियों में ये 4 काम करेंगे तो चेहरा चमकने लगेगा
============================  (संयोगिता सिंह)
मौसम के बदलाव का सबसे ज्यादा फर्क स्किन पर दिखाई पड़ता है। अक्सर ज्यादा ठंड में स्किन की देखभाल पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर स्किन रूखी व डल दिखाई पड़ती है। मौसम के प्रभाव के कारण चेहरे की चमक गायब हो जाती है,चेहरा काला पड़ जाता है। ऐसे में चेहरे की चमक को बरकरार रखने की चिंता सताने लगती है। इसलिए ठंड के मौसम में बेफिक्र रहना है तो अपनाइए ये घरेलू नुस्खें....

1- पेट साफ रहे तो त्वचा की समस्याएं नहीं होती है। पेट का हाजमा ठीक न हो तो चेहरे पर कील-मुंहासे हो सकते हैं। इसीलिए स्किन को स्वस्थ रखने के लिए कब्ज को दूर करना बहुत जरुरी है। पेट साफ करने के लिए प्रतिदिन सुबह-सुबह गुनगुने पानी में शहद की कुछ बूंदे डालकर पीएं। इससे कील-मुंहासे की समस्या समाप्त हो जाएगी। 

2-दो छोटे चम्मच बेसन में आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर खूब फेंटें। फिर इस लेप में दस बूंद गुलाब जल व दस बूंद नींबू मिलाकर खूब फेंटे। स्नान से पूर्व इस लेप को चेहरे पर मलें। ऑयली स्किन वालों को चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। केवल दही लगाकर चेहरा धोएं तो स्किन ग्लो करने लगती है और चेहरे पर मौसम का प्रभाव नहीं दिखाई पड़ता है।

3- बार-बार ठंडे पानी से चेहरा धोते रहें। साबुन या फेसवॉश का प्रयोग कम से कम ही करें। अपना टॉवेल अलग रखें।चेहरे की गंदगी और धूल-मिट्टी साफ करने के लिए टमाटर के टुकड़े चेहरे पर धीरे-धीरे रगड़ें।  यदि आपके चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ गए हैं तो नींबू के छिलके पर थोड़ी सी चीनी डालें और फिर छिलके को दाग-धब्बे वाले स्थान पर धीरे-धीरे रगड़ें।

4-  पानी ज्यादा पीएं। रोजाना कम से कम दस गिलास पानी पीएं क्योंकि पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है। अधिक पानी पीने से त्वचा पर झुर्रिया नहीं पड़ती हैं।
Photo: सर्दियों में ये 4 काम करेंगे तो चेहरा चमकने लगेगा
============================  (संयोगिता सिंह)
मौसम के बदलाव का सबसे ज्यादा फर्क स्किन पर दिखाई पड़ता है। अक्सर ज्यादा ठंड में स्किन की देखभाल पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर स्किन रूखी व डल दिखाई पड़ती है। मौसम के प्रभाव के कारण चेहरे की चमक गायब हो जाती है,चेहरा काला पड़ जाता है। ऐसे में चेहरे की चमक को बरकरार रखने की चिंता सताने लगती है। इसलिए ठंड के मौसम में बेफिक्र रहना है तो अपनाइए ये घरेलू नुस्खें....

1- पेट साफ रहे तो त्वचा की समस्याएं नहीं होती है। पेट का हाजमा ठीक न हो तो चेहरे पर कील-मुंहासे हो सकते हैं। इसीलिए स्किन को स्वस्थ रखने के लिए कब्ज को दूर करना बहुत जरुरी है। पेट साफ करने के लिए प्रतिदिन सुबह-सुबह गुनगुने पानी में शहद की कुछ बूंदे डालकर पीएं। इससे कील-मुंहासे की समस्या समाप्त हो जाएगी। 

2-दो छोटे चम्मच बेसन में आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर खूब फेंटें। फिर इस लेप में दस बूंद गुलाब जल व दस बूंद नींबू मिलाकर खूब फेंटे। स्नान से पूर्व इस लेप को चेहरे पर मलें। ऑयली स्किन वालों को चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। केवल दही लगाकर चेहरा धोएं तो स्किन ग्लो करने लगती है और चेहरे पर मौसम का प्रभाव नहीं दिखाई पड़ता है।

3- बार-बार ठंडे पानी से चेहरा धोते रहें। साबुन या फेसवॉश का प्रयोग कम से कम ही करें। अपना टॉवेल अलग रखें।चेहरे की गंदगी और धूल-मिट्टी साफ करने के लिए टमाटर के टुकड़े चेहरे पर धीरे-धीरे रगड़ें।  यदि आपके चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ गए हैं तो नींबू के छिलके पर थोड़ी सी चीनी डालें और फिर छिलके को दाग-धब्बे वाले स्थान पर धीरे-धीरे रगड़ें।

4-  पानी ज्यादा पीएं। रोजाना कम से कम दस गिलास पानी पीएं क्योंकि पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है। अधिक पानी पीने से त्वचा पर झुर्रिया नहीं पड़ती हैं।

पसली का दर्द


सर्दियों में कई लोगों को पसली का दर्द परेशान करने लगता है। पसलियां तेज चलने लगती हैं। उनमें भयंकर दर्द होने लगता है। पसलियों में जकडऩ सी महसूस होने लगती है। चलना, उठना, बैठना यहां तक कि करवट लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में सिर्फ घरेलू नुस्खों से बहुत जल्द राहत मिल सकती है।

-चूना व शहद मिलाकर लेप करपे से पसली के दर्द से राहत मिलती है।

- एक गिलास पानी में दो चम्मच जीरा डालकर गर्म करें और उसे गरम पानी में तौलिया भिगोकर अच्छी तरह निचोड़ें और उसकी भाप से सेंक करें। कुछ घंटों में आराम मिल जाएगा।

- 100 ग्राम मेथी का दाना थोड़ा हल्का भून लें, फिर इसे हल्का सा कूटकर उसमे २५ ग्राम काला नमक मिलाकर लें। दो चम्मच इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इस नुस्खे को कम से कम निरंतर पंद्रह दिनों तक सेवन करें। इस नुस्खे को कम से कम निरंतर पंद्रह दिनों तक सेवन करें। इससे पसली के असहनीय दर्द से छुटकारा मिलता है।

- गरम दूध में तीन-चार इलायची पीसकर मिला लें। फिर उसमें एक चुटकी हल्दी मिलाकर रात को सोते समय रोगी को पिलाएं। इससे दर्द में आराम मिलेगा।

- गेहूं की रोटी को एक तरफ से सेंक ले और दूसरी तरफ से कच्ची ही रखें, फिर कच्चे भाग पर सरसों का गरम तेल मलकर उसे दर्द वाले हिस्से पर बांध दें। दर्द से राहत मिल जाएगी।
Photo: घरेलू नुस्खे: ये करें जब सर्दियों में हो पसली का दर्द
============================  (संयोगिता सिंह)

सर्दियों में कई लोगों को पसली का दर्द परेशान करने लगता है। पसलियां तेज चलने लगती हैं। उनमें भयंकर दर्द होने लगता है। पसलियों में जकडऩ सी महसूस होने लगती है। चलना, उठना, बैठना यहां तक कि करवट लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में सिर्फ घरेलू नुस्खों से बहुत जल्द राहत मिल सकती है। 
 
-चूना व शहद मिलाकर लेप करपे से पसली के दर्द से राहत मिलती है।

- एक गिलास पानी में दो चम्मच जीरा डालकर गर्म करें और उसे गरम पानी में तौलिया भिगोकर अच्छी तरह निचोड़ें और उसकी भाप से सेंक करें। कुछ घंटों में आराम मिल जाएगा। 

- 100 ग्राम मेथी का दाना थोड़ा हल्का भून लें, फिर इसे हल्का सा कूटकर उसमे २५ ग्राम काला नमक मिलाकर लें। दो चम्मच इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इस नुस्खे को कम से कम निरंतर पंद्रह दिनों तक सेवन करें। इस नुस्खे को कम से कम निरंतर पंद्रह दिनों तक सेवन करें। इससे पसली के असहनीय दर्द से छुटकारा मिलता है।

- गरम दूध में तीन-चार इलायची पीसकर मिला लें। फिर उसमें एक चुटकी हल्दी मिलाकर रात को सोते समय रोगी को पिलाएं। इससे दर्द में आराम मिलेगा।

- गेहूं की रोटी को एक तरफ से सेंक ले और दूसरी तरफ से कच्ची ही रखें, फिर कच्चे भाग पर सरसों का गरम तेल मलकर उसे दर्द वाले हिस्से पर बांध दें। दर्द से राहत मिल जाएगी।

नहीं लेना पड़ेगा PAIN KILLER


शरीर के किसी भी अंग में दर्द होना आधुनिक जीवनशैली का परिणाम है। अगर आप किसी भी प्रकार के दर्द के शिकार हैं तो करें दर्द निवारण में मददगार कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करें, ये फूड न केवल आपकी सेहत की रक्षा करेंगे बल्कि हर तरह के दर्द में औषधि की तरह काम करेंगे।

- कैसा भी जोड़ो का दर्द हो अगर उस पर अजवाइन का तेल बनाकर लगाया जाए तो दर्द में बहुत जल्दी राहत मिलती है। 10 ग्राम अजवाइन का तेल 10 ग्राम पिपरमेंट और 20 ग्राम कपूर तीनों को मिलाकर एक बोतल में भर दें। दर्द या कमरदर्द या पसलीदर्द, सिरदर्द आदि में तुरंत लाभ पहुंचाने वाली औषधि है। इसकी कुछ बूंदे मलिए, दर्द छूमंतर हो जाएगा। अजवाइन के तेल की मालिश करने से जोड़ों का दर्द जकडऩ तथा शरीर के अन्य भागों पर भी मलने से दर्द में राहत मिलती है।

- सोंठ और अदरक एक ही पदार्थ के दो रूप हैं। गीले रूप में यह अदरक कहलाती है। सूखने पर यही सोंठ हो जाती है। अदरक और सोंठ का उपयोग मसालों और घेरलू दवाओं के रूप में भी व्यापक रूप से किया जाता है। यह वात रोगों की सबसे अच्छी औषधि है।

- जायफल के तेल को सरसों के तेल में मिलाकर जोड़ों की पुरानी सूजन पर मालिश करने से लाभ मिलता है। संधिवात के कारण अकड़े हुए संधि-स्थल को खोलता है। जिससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। जायफल का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। जायफल को बकरी के दूध में घिसकर उसे थोड़ा गरम कर लेप करने से सिरदर्द, सिर का भारीपन व जुकाम ठीक हो जाता है।

- मैथी गैस व कफ दोनों को ही मिटाने वाली औषधि की तरह कार्य करती है। रोजाना 20 ग्राम मेथी का चूर्ण सुबह-शाम खाने से वात रोग दूर हो जाते हैं। मेथी व सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, इस चूर्ण को 5-5 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम खाने से गठिया व जोड़ो के दर्द से छुटकारा मिलता है।

- हल्दी में विटामिन ए, बी व सी मिलता है। यह गठिया, कुष्ठ, जुकाम व त्वचा के रोगों की चमत्कारिक घरेलू औषधि है, यह सूजन और हड्डी की टूटन को भी ठीक कर सकती है। हल्दी, चूना और शहद समभाग लेकर तीनो ंको अच्छी तरह मिलाकर दर्द के स्थान पर लगाने से गठिया की सूजन दूर होती है। हल्दी के पत्तों को सेंककर बांधने से गठिया की सूजन और दर्द दूर होता है।

- गठिया के दर्द में गाजर बहुत उपयोगी है सबसे अच्छा खाद्य पदार्थ है। इसे कच्चा या उबाल कर भी खाया जा सकता है। लेकिन कच्चे गाजर का रस अधिक लाभप्रद है क्योंकि इससे शरीर को अधिक पोषण मिलता है। रोजाना आधा से डेढ़ लीटर तक गाजर का रस ले सकते हैं और अपनी आवश्यकता के अनुसार इससे अधिक भी ले सकते हैं। उसमें आंवले का रस मिला लेने पर ये अधिक गुणकारी होता है। एक किलो गाजर के रस में 5-6 आंवले का रस मिलाना चाहिए।

- किसी भी तरह का दर्द हो लहसुन के रस के प्रभाव से यूरिक एसिड गलकर तरल रूप में मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाता है। इसलिए यह वातरक्त, संधिवात आदि रोग में गुणकारी है। लहसुन से पेटदर्द, गठिया, गले के दोष आदि में भी एक औषधि की तरह काम करता है। लहसुन और वायवडिंग को सोलह गुना व पानी में पकाएं, जब पानी जल जाए तो दूध को उतार लें इसे छानकर ठंडा होने पर पीएं। इससे वातनाडिय़ों की शक्ति बढ़ती है। साथ ही मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे शारीरिक दर्द महसूस होता है। लहसुन व उड़द के बड़े बनाकर तिल के तेल में तल कर खाने से संधिवात और अन्य बीमारियों में राहत मिलती है।
Photo: कैसा भी दर्द हो ये FOODS खाएंगे तो नहीं लेना पड़ेगा PAIN KILLER
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 (संयोगिता सिंह)
शरीर के किसी भी अंग में दर्द होना आधुनिक जीवनशैली का परिणाम है। अगर आप किसी भी प्रकार के दर्द के शिकार हैं तो करें दर्द निवारण में मददगार कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करें, ये फूड न केवल आपकी सेहत की रक्षा करेंगे बल्कि हर तरह के दर्द में औषधि की तरह काम करेंगे। 

- कैसा भी जोड़ो का दर्द हो अगर उस पर अजवाइन का तेल बनाकर लगाया जाए तो दर्द में बहुत जल्दी राहत मिलती है। 10  ग्राम अजवाइन का तेल 10 ग्राम पिपरमेंट और 20  ग्राम कपूर तीनों को मिलाकर एक बोतल में भर दें। दर्द या कमरदर्द या पसलीदर्द, सिरदर्द आदि में तुरंत लाभ पहुंचाने वाली औषधि है। इसकी कुछ बूंदे मलिए, दर्द छूमंतर हो जाएगा। अजवाइन के तेल की मालिश करने से जोड़ों का दर्द जकडऩ तथा शरीर के अन्य भागों पर भी मलने से दर्द में राहत मिलती है। 

- सोंठ और अदरक एक ही पदार्थ के दो रूप हैं। गीले रूप में यह अदरक कहलाती है। सूखने पर यही सोंठ हो जाती है। अदरक और सोंठ का उपयोग मसालों और घेरलू दवाओं के रूप में भी व्यापक रूप से किया जाता है। यह वात रोगों की सबसे अच्छी औषधि है।

- जायफल के तेल को सरसों के तेल में मिलाकर जोड़ों की पुरानी सूजन पर मालिश करने से लाभ मिलता है। संधिवात के कारण अकड़े हुए संधि-स्थल को खोलता है। जिससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। जायफल का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। जायफल को बकरी के दूध में घिसकर उसे थोड़ा गरम कर लेप करने से सिरदर्द, सिर का भारीपन व जुकाम ठीक हो जाता है।

- मैथी गैस व कफ दोनों को ही मिटाने वाली औषधि की तरह कार्य करती है। रोजाना 20  ग्राम मेथी का चूर्ण सुबह-शाम खाने से वात रोग दूर हो जाते हैं। मेथी व सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, इस चूर्ण को 5-5 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम खाने से गठिया व जोड़ो के दर्द से छुटकारा मिलता है। 

- हल्दी में विटामिन ए, बी व सी मिलता है। यह गठिया, कुष्ठ, जुकाम व त्वचा के रोगों की चमत्कारिक घरेलू औषधि है, यह सूजन और हड्डी की टूटन को भी ठीक कर सकती है। हल्दी, चूना और  शहद समभाग लेकर तीनो ंको अच्छी तरह मिलाकर दर्द के स्थान पर लगाने से गठिया की सूजन दूर होती है। हल्दी के पत्तों को सेंककर बांधने से गठिया की सूजन और दर्द दूर होता है।

- गठिया के दर्द में गाजर बहुत उपयोगी है सबसे अच्छा खाद्य पदार्थ है। इसे कच्चा या उबाल कर भी खाया जा सकता है। लेकिन कच्चे गाजर का रस अधिक लाभप्रद है क्योंकि इससे शरीर को अधिक पोषण मिलता है। रोजाना आधा से डेढ़ लीटर तक गाजर का रस ले सकते हैं और अपनी आवश्यकता के अनुसार इससे अधिक भी ले सकते हैं। उसमें आंवले का रस मिला लेने पर ये अधिक गुणकारी होता है। एक किलो गाजर के रस में 5-6 आंवले का रस मिलाना चाहिए।

-  किसी भी तरह का दर्द हो लहसुन के रस के प्रभाव से यूरिक एसिड गलकर तरल रूप में मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाता है। इसलिए यह वातरक्त, संधिवात आदि रोग में गुणकारी है। लहसुन से पेटदर्द, गठिया, गले के दोष आदि में भी एक औषधि की तरह काम करता है। लहसुन और वायवडिंग को सोलह गुना व पानी में पकाएं, जब पानी जल जाए तो दूध को उतार लें इसे छानकर ठंडा होने पर पीएं। इससे वातनाडिय़ों की शक्ति बढ़ती है। साथ ही मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे शारीरिक दर्द महसूस होता है। लहसुन व उड़द के बड़े बनाकर तिल के तेल में तल कर खाने से संधिवात और अन्य बीमारियों में राहत मिलती है।

सरसों के तेल का ठंड में ऐसे करें उपयोग


सरसों का तेल हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे 'करामाती तेलÓ भी कहा जा सकता है। इसमें कई सारे ऐसे पोषक तत्व हैं जो हमारी सेहत, बाल और त्वचा आदि पर जादुई असर छोड़ते हैं। इसलिए सरसों के तेल का उपयोग प्राचीन समय से ही खाने व शरीर पर लगाने में भी किया जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सरसों का तेल बहुत ही अच्छे पेनकिलर की तरह भी काम करता है आज हम आपको बताने जा रहे हैं सरसों के तेल के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो बहुत उपयोगी व रामबाण माने जाते हैं.....

- सरसों के तेल में दर्दनाशक गुण हैं, यदि कान का दर्द सताए तो दो बूंद गुनगुना सरसों का तेल कान में टपकाएं, चाहे तो इसमें दो चार कलियां लहसुन की भी मिला सकते हैं। यदि गठिया से परेशान हों तो सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से दर्द राहत मिलती है। यदि कमर दर्द हो तो सरसों के तेल में थोड़ी हींग, अजवाइन और लहसुन मिलाकर गर्म कर लें और उसे कमर पर लगाएं, पिंडलियों का दर्द हो तो सरसो के तेल को गुनगुना करके मालिश करना चाहिए।

-सरसों का तेल दिल को चुस्त-दुरुस्त रखता है, कुछ समय पूर्व एम्स, हावर्ड स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस तथा सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज में एक साथ शोध की गई जिससे पता चला कि सरसों का तेल खाने वाले 71 प्रतिशत लोगों को दिल की बीमारी नहीं हुई।नवजात शिशु और प्रसूता दोनों की मालिश करने के लिए सरसों का तेल सबसे अच्छा रहता है। सरसों के तेल से मालिश करने के बाद नहाने से शिशु को सर्दी होने का खतरा नहीं रहता, अपितु यदि बच्चे का सर्दी लग गई हो तो सरसों के तेल से मालिश करने से दूर हो जाती है।

- सरसों का तेल सौंदर्यवर्धक भी है, रूप सौंदर्य निखारने के लिए दूध सरसों को उबालकर उसमें गुलाबजल मिलाकर उबटन की तरह लगाएं,गौरा रंग चाहने वालों के लिए बेसन, हल्दी में सरसो का तेल डालकर लगाएं।यदि चेहरे पर कील मुंहासे, झाइयां, झुर्रियां, झुर्रियां हो तो सरसों का तेल बड़े काम की चीज है सरसों के तेल से मालिश करने से शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़ती। सरसों के तेल से मालिश करने पर खून बढ़ता है। शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति आती है। इससे शारीरिक थकान भी दूर होती है। चर्मरोगों में भी सरसों का तेल लाभदाक है इसके तेल में आक पत्तों का रस और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर गर्म करके ठंडा होने पर लगाने से दाद, खाज, खुजली आदि नाश होता है। सरसों का तेल पाइरिया मिटाने वाला है। इसमें सेंधा नमक मिलाकर दांतों और मसूड़ों पर लगाना चाहिए।
Photo: सरसों के तेल का ठंड में ऐसे करें उपयोग होंगे फायदे ही फायदे
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सरसों का तेल हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे 'करामाती तेलÓ भी कहा जा सकता है। इसमें कई सारे ऐसे पोषक तत्व हैं जो हमारी सेहत, बाल और त्वचा आदि पर जादुई असर छोड़ते हैं। इसलिए सरसों के तेल का उपयोग प्राचीन समय से ही खाने व शरीर पर लगाने में भी किया जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सरसों का तेल बहुत ही अच्छे पेनकिलर की तरह भी काम करता है आज हम आपको बताने जा रहे हैं सरसों के तेल के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो बहुत उपयोगी व रामबाण माने जाते हैं.....

- सरसों के तेल में दर्दनाशक गुण हैं, यदि कान का दर्द सताए तो दो बूंद गुनगुना सरसों का तेल कान में टपकाएं, चाहे तो इसमें दो चार कलियां लहसुन की भी मिला सकते हैं। यदि गठिया से परेशान हों तो सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से दर्द राहत मिलती है। यदि कमर दर्द हो तो सरसों के तेल में थोड़ी हींग, अजवाइन और लहसुन मिलाकर गर्म कर लें और उसे कमर पर लगाएं, पिंडलियों का दर्द हो तो सरसो के तेल को गुनगुना करके मालिश करना चाहिए।

-सरसों का तेल दिल को चुस्त-दुरुस्त रखता है, कुछ समय पूर्व एम्स, हावर्ड स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस तथा सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज में एक साथ शोध की गई जिससे पता चला कि सरसों का तेल खाने वाले 71 प्रतिशत लोगों को दिल की बीमारी नहीं हुई।नवजात शिशु और प्रसूता दोनों की मालिश करने के लिए सरसों का तेल सबसे अच्छा रहता है। सरसों के तेल से मालिश करने के बाद नहाने से शिशु को सर्दी होने का खतरा नहीं रहता, अपितु यदि बच्चे का सर्दी लग गई हो तो सरसों के तेल से मालिश करने से दूर हो जाती है।

-  सरसों का तेल सौंदर्यवर्धक  भी है, रूप सौंदर्य निखारने के लिए दूध सरसों को उबालकर उसमें गुलाबजल मिलाकर उबटन की तरह लगाएं,गौरा रंग चाहने वालों के लिए  बेसन, हल्दी में सरसो का तेल डालकर लगाएं।यदि चेहरे पर कील मुंहासे, झाइयां, झुर्रियां, झुर्रियां हो तो सरसों का तेल बड़े काम की चीज है सरसों के तेल से मालिश करने से शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़ती। सरसों के तेल से मालिश करने पर खून बढ़ता है। शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति आती है। इससे शारीरिक थकान भी दूर होती है। चर्मरोगों में भी सरसों का तेल लाभदाक है इसके तेल में आक पत्तों का रस और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर गर्म करके ठंडा होने पर लगाने से दाद, खाज, खुजली आदि नाश होता है। सरसों का तेल पाइरिया मिटाने वाला है। इसमें सेंधा नमक मिलाकर दांतों और मसूड़ों पर लगाना चाहिए।

नारियल का उपयोग


नारियल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए नारियल का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है। नारियल कई तरह औषधिय गुणों से भरपूर हैं। साथ ही सौंदर्य निखारने में भी नारियल बहुत उपयोगी है। आइए जानते हैं नारियल के कुछ ऐसे ही प्रयोग जो आपकी खूबसूरती को निखार देंगे।

- सर्दियों मे रोजाना सुखा नारियल खाएं। रात को सोते समय चेहरे पर गरदन और झुर्रियों से प्रभावित भाग में नारियल का तेल लगाएं। हाथों को ऊपर की तरफ ले जाते हुए मालिश करें। मालिश हल्के हाथ से करें। सवेरे उठकर चेहरे को साफ पानी से धो लें। झुर्रियां नष्ट हो जाएंगी।

- नारियल पानी व खीरे का रस मिलाकर रोजाना लगाने से। दाग धब्बे मिटते हैं, त्वचा कांतिमय लगने लगती है। नारियल का दूध बालों के बढऩे में महत्वूर्ण भूमिका अदा करता है। यह बालों को बेहतरीन पोषण प्रदान करता है।नारियल की गिरी खाने से रंग निखरने लगता है।

- नारियल तेल को स्किन पर लगाने के भी अनेक फायदे हैं। केवल कुछ बूंदे नारियल तेल का रोजाना उपयोग करने पर स्किन हमेशा हेल्दी रहती है।खट्टे दही में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर उस उबटन में नारियल के तेल की कुछ बूंदे डालकर लगाने से बालों में चमक और नई जान आ जाते हैं। रोजाना 2 से 3 नारियल पानी पीएं चेहरा ग्लो करने लगेगा।
 
Photo: ठंड में नारियल का उपयोग ऐसे करेंगे तो चेहरा ग्लो करेगा
===============================  (संयोगिता सिंह)
नारियल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए नारियल का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है। नारियल कई तरह औषधिय गुणों से भरपूर हैं। साथ ही सौंदर्य निखारने में भी नारियल बहुत उपयोगी है। आइए जानते हैं नारियल के कुछ ऐसे ही प्रयोग जो आपकी खूबसूरती को निखार देंगे।


- सर्दियों मे रोजाना सुखा नारियल खाएं। रात को सोते समय चेहरे पर गरदन और झुर्रियों से प्रभावित भाग में नारियल का तेल लगाएं। हाथों को ऊपर की तरफ ले जाते हुए मालिश करें। मालिश हल्के हाथ से करें। सवेरे उठकर चेहरे को साफ पानी से धो लें। झुर्रियां नष्ट हो जाएंगी।


 - नारियल पानी व खीरे का रस मिलाकर रोजाना लगाने से। दाग धब्बे मिटते हैं, त्वचा कांतिमय लगने लगती है। नारियल का दूध बालों के बढऩे में महत्वूर्ण भूमिका अदा करता है। यह बालों को बेहतरीन पोषण प्रदान करता है।नारियल की गिरी खाने से रंग निखरने लगता है।


- नारियल तेल को स्किन पर लगाने के भी अनेक फायदे हैं। केवल कुछ बूंदे नारियल तेल का रोजाना उपयोग करने पर स्किन हमेशा हेल्दी रहती है।खट्टे दही में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर उस उबटन में नारियल के तेल की कुछ बूंदे डालकर लगाने से बालों में चमक और नई जान आ जाते हैं। रोजाना 2 से 3 नारियल पानी पीएं चेहरा ग्लो करने लगेगा।
Photo: ठंड में नारियल का उपयोग ऐसे करेंगे तो चेहरा ग्लो करेगा
===============================  (संयोगिता सिंह)
नारियल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए नारियल का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है। नारियल कई तरह औषधिय गुणों से भरपूर हैं। साथ ही सौंदर्य निखारने में भी नारियल बहुत उपयोगी है। आइए जानते हैं नारियल के कुछ ऐसे ही प्रयोग जो आपकी खूबसूरती को निखार देंगे।


- सर्दियों मे रोजाना सुखा नारियल खाएं। रात को सोते समय चेहरे पर गरदन और झुर्रियों से प्रभावित भाग में नारियल का तेल लगाएं। हाथों को ऊपर की तरफ ले जाते हुए मालिश करें। मालिश हल्के हाथ से करें। सवेरे उठकर चेहरे को साफ पानी से धो लें। झुर्रियां नष्ट हो जाएंगी।


 - नारियल पानी व खीरे का रस मिलाकर रोजाना लगाने से। दाग धब्बे मिटते हैं, त्वचा कांतिमय लगने लगती है। नारियल का दूध बालों के बढऩे में महत्वूर्ण भूमिका अदा करता है। यह बालों को बेहतरीन पोषण प्रदान करता है।नारियल की गिरी खाने से रंग निखरने लगता है।


- नारियल तेल को स्किन पर लगाने के भी अनेक फायदे हैं। केवल कुछ बूंदे नारियल तेल का रोजाना उपयोग करने पर स्किन हमेशा हेल्दी रहती है।खट्टे दही में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर उस उबटन में नारियल के तेल की कुछ बूंदे डालकर लगाने से बालों में चमक और नई जान आ जाते हैं। रोजाना 2 से 3 नारियल पानी पीएं चेहरा ग्लो करने लगेगा।